http://kavitakosh.org/kk/index.php?title=%E0%A4%95%E0%A5%8B%E0%A4%B6%E0%A5%80_%E0%A4%86%E0%A4%81%E0%A4%9A%E0%A4%B2_/_%E0%A4%8F%E0%A4%B8._%E0%A4%AE%E0%A4%A8%E0%A5%8B%E0%A4%9C&feed=atom&action=historyकोशी आँचल / एस. मनोज - अवतरण इतिहास2024-03-28T10:49:54Zविकि पर उपलब्ध इस पृष्ठ का अवतरण इतिहासMediaWiki 1.24.1http://kavitakosh.org/kk/index.php?title=%E0%A4%95%E0%A5%8B%E0%A4%B6%E0%A5%80_%E0%A4%86%E0%A4%81%E0%A4%9A%E0%A4%B2_/_%E0%A4%8F%E0%A4%B8._%E0%A4%AE%E0%A4%A8%E0%A5%8B%E0%A4%9C&diff=270582&oldid=prevRahul Shivay: '{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=एस. मनोज |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <p...' के साथ नया पृष्ठ बनाया2019-12-09T06:44:52Z<p>'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=एस. मनोज |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <p...' के साथ नया पृष्ठ बनाया</p>
<p><b>नया पृष्ठ</b></p><div>{{KKGlobal}}<br />
{{KKRachna<br />
|रचनाकार=एस. मनोज<br />
|अनुवादक=<br />
|संग्रह=<br />
}}<br />
{{KKCatKavita}}<br />
<poem><br />
कोशी कमला नदी का देखो<br />
जाल यहां है फैला सा<br />
रेणु की धरती को देखो<br />
आँचल इसका मैला सा<br />
<br />
बाढ़ की विपदा यहां है आती<br />
जीवन सबका नरक बनाती<br />
जल ही जीवन नहीं है भैया<br />
जब उफनाती कोशी मैया<br />
<br />
जल ही जल चहुँओर है रहता<br />
घर आंगन सब जल में बहता<br />
फिर होता राहत का खेल<br />
लूटपाट का रेलम पेल<br />
दिल्ली पटना भाग्य विधाता<br />
जय हो सेवक जय हो दाता।<br />
</poem></div>Rahul Shivay