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कोहबर / बुद्धिनाथ मिश्र

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पुरइन दह सन सीतल कोहबर
चानन लागल केबार हे!
ताहि पैसि सुतलाह दुलहा रघुबर दुलहा
संग सुतलि सुकुमारि हे!

नव रंग पटिया, नवहि रंग निनिया
चारू दिसि फूल छिरिआइ हे
पातरि सुहबे सुतहु नहि जानइ
सेज तजि भुइयाँ लेटाइ हे

अलप वयस धनि मुहो न उघारइ
थर-थर काँपइ देह हे
गेरू लिखल माछ सन दूनू आँखि भेल
घामहि भिजल सिनेह हे

पहिलहि राति भेल अगम अथाह सन
तैयो न सपना समाइ हे
अउँठी उतारि पिया धनि पहिराओल
लेलनि अंक लगाइ हे!

नहु-नहु बिहँसैत सुरुज उदित भेला
पुरुब क मुह रतनार हे
कदम क गाछ सूगा उड़ि-उड़ि तेजल
उठु-उठु भेल भिनसार हे!