http://kavitakosh.org/kk/index.php?title=%E0%A4%95%E0%A5%8B%E0%A4%B9%E0%A4%B0%E0%A5%87_%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%82_%E0%A4%B6%E0%A4%BE%E0%A4%AF%E0%A4%A6_%E0%A4%A8_%E0%A4%AD%E0%A5%80_%E0%A4%A6%E0%A5%80%E0%A4%96%E0%A5%87_/_%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%97%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%9C%E0%A5%81%E0%A4%A8&feed=atom&action=history
कोहरे में शायद न भी दीखे / नागार्जुन - अवतरण इतिहास
2024-03-29T00:04:05Z
विकि पर उपलब्ध इस पृष्ठ का अवतरण इतिहास
MediaWiki 1.24.1
http://kavitakosh.org/kk/index.php?title=%E0%A4%95%E0%A5%8B%E0%A4%B9%E0%A4%B0%E0%A5%87_%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%82_%E0%A4%B6%E0%A4%BE%E0%A4%AF%E0%A4%A6_%E0%A4%A8_%E0%A4%AD%E0%A5%80_%E0%A4%A6%E0%A5%80%E0%A4%96%E0%A5%87_/_%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%97%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%9C%E0%A5%81%E0%A4%A8&diff=284260&oldid=prev
अनिल जनविजय: '{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= नागार्जुन |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKav...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
2020-10-05T16:16:58Z
<p>'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= नागार्जुन |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKav...' के साथ नया पृष्ठ बनाया</p>
<p><b>नया पृष्ठ</b></p><div>{{KKGlobal}}<br />
{{KKRachna<br />
|रचनाकार= नागार्जुन<br />
|अनुवादक=<br />
|संग्रह=<br />
}}<br />
{{KKCatKavita}}<br />
<poem><br />
वो गया<br />
वो गया<br />
बिल्कुल ही चला गया<br />
पहाड़ की ओट में<br />
<br />
लाल-लाल गोला सूरज का<br />
शायद सुबह-सुबह<br />
दीख जाए पूरब में<br />
शायद कोहरे में न भी दीखे !<br />
<br />
फ़िलहाल वो<br />
डूबता-डूबता दीख गया !<br />
दिनान्त का आरक्त भास्कर<br />
जेठ के उजले पाख की नौवीं साँझ<br />
पसारेगी अपना आँचल अभी-अभी<br />
हिम्मत न होगी तमिस्रा को<br />
धरती पर झाँकने की !<br />
<br />
सहमी-सहमी-सी वो प्रतीक्षा करेगी<br />
उधर, उस ओर<br />
खण्डहर की ओट में !<br />
<br />
जी हाँ, परित्यक्त राजधानी के<br />
खण्डहरोंवाले उन उदास झुरमुटों में<br />
तमिस्रा करेगी इन्तज़ार<br />
दो बजे रात तक<br />
यानि तिथिक्रम के हिसाब से,<br />
आधी धुली चाँदनी<br />
तब तक खिली रहेगी<br />
फिर, तमिस्रा का नम्बर आएगा !<br />
यानि अन्धकार का !<br />
<br />
(1984 में रचित)<br />
</poem></div>
अनिल जनविजय