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को रंग मस्ती में झूमै हेमंत / कुमार संभव

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सखी, मोर पिन्ही चिकना फूलोॅ के
को रंग मस्ती में झूमै हेमंत।

तेल फूलैेल लगैनें, मनहर रूप सजैने
मंजुल केशर के टीका माथा पर लगैने,
खंजन मृग मीन रं अंजन धारण करने
काम रूप में सजलोॅ रति केॅ तरसैनें।
प्रेमोॅ सें भरलोॅ छै दिग-दिगन्त
को रंग मस्ती में झूमै हेमंत।

विविध फूलोॅ के माला में शोभैं
कुंकुम रोली-चंदन लगलोॅ माथें लोभै,
मुहोॅ पर चानोॅ के तेज अति मन भावै
हल्दी के रंगोॅ से रंगलोॅ, रहि-रहि मुस्काबै।
शोभा के नै छै कोनो अंत
को रंग मस्ती में झूमै हेमंत।