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कौड़ाइप / इंदिरा शबनम

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पंहिंजे दिल ऐं दिमाग़ जी
समूरी कौड़ाइप
हिते पखेड़े
घर जे वायुमंडल खे
ज़हरीली करे
कौड़ो बणाए
हू हलियो वेन्दो
पंहिंजे विंदुर भरे माहोल में
खिलण खिलाइण,
मौज मज़ो मचाइण।
हवासनि खे ताज़ो करण
कंहिं मिइाण जो क़र्जु़ खणण
कुझु घड़ियूं हू उते
मिठो मिठो, सुठो सुठो हून्दो
ओधरि ते खंयलु मिठाणु विर्हाए
जॾहिं हुन खे महसूस थीन्दो
मिठाण जो स्टाकु ख़तम थी रहियो आहे
भॼी ईन्दो उतां
पंहिंजी कौड़ाइप
घर में विरहाइण लाइ!