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"कौन-सी चर्चा चलती है / कविता भट्ट" के अवतरणों में अंतर

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पहाड़-पीठ पर बँधे बच्चे-सा
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फिर भी शान से चलती है
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खेतों में खपती है हर दिन
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इसके पालन को निकलती है
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हँसती, चेहरे पर झुर्री पहने
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पानी-गोबर-मिट्टी में पलती है
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हर दिन उसका अठारह घंटे का
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रात कराहती करवट बदलती है
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पीटता उसे जो, माथे पर सिंदूर सजा
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सवेरे की आस प्रतिदिन मचलती है
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मेरे पहाड़ की एक-एक ‘घुँघरी’
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हर रोज़ अग्निपरीक्षा से निकलती है
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रात वाले घाव आँसुओं से धोकर
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बोझे ढोती, गिरती और सँभलती है
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वैज्ञानिक युग में महिला विकास की
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न जाने कौन-सी चर्चा चलती है 
  
 
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02:32, 29 जून 2019 के समय का अवतरण


पहाड़-पीठ पर बँधे बच्चे-सा
फिर भी शान से चलती है
खेतों में खपती है हर दिन
 इसके पालन को निकलती है
हँसती, चेहरे पर झुर्री पहने
पानी-गोबर-मिट्टी में पलती है
हर दिन उसका अठारह घंटे का
रात कराहती करवट बदलती है
पीटता उसे जो, माथे पर सिंदूर सजा
 सवेरे की आस प्रतिदिन मचलती है
मेरे पहाड़ की एक-एक ‘घुँघरी’
हर रोज़ अग्निपरीक्षा से निकलती है
रात वाले घाव आँसुओं से धोकर
बोझे ढोती, गिरती और सँभलती है
 वैज्ञानिक युग में महिला विकास की
 न जाने कौन-सी चर्चा चलती है 