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कौन आए इधर या उधर से यहाँ / अविनाश भारती
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कौन आए इधर या उधर से यहाँ,
सुब्ह भी गर्म है दोपहर से यहाँ।
शौक़ से मत कहो पेट के वास्ते,
दूर हैं हम सभी अपने घर से यहाँ।
बाप से हैं खफ़ा घर के बेटे सभी,
दूर जैसे परिंदे शजर से यहाँ।
क्यों नहीं है दिखाता ख़बर ये कोई,
जो भी देखी है सबने नज़र से यहाँ।
एक दूजे के दुश्मन बने हैं सभी,
मौत होती नहीं अब ज़हर से यहाँ।
बात 'अविनाश' ईमां की करते हो तुम
लोग उठते कहाँ हैं कमर से यहाँ।