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कौन कहता है कि ख़िद्मतगार होना चाहिए / दरवेश भारती

कौन कहता है कि ख़िद्मतगार होना चाहिए
अब सियासत में फ़क़त ज़रदार होना चाहिए

ज़िन्दगी जीना कहाँ आसान है इस दौर में
इसको जीने के लिए फ़नकार होना चाहिए

बिन परों के क्या उड़ोगे आस्मां-दर-आस्मां
कामयाबी के लिए आधार होना चाहिए

दोस्ती की हो ये चाहे दुश्मनी की हो, मगर
इस ज़मीं को एकदम हमवार होना चाहिए

सब तेरी तक़रीर सुनकर हों फ़िदा तुझपे,मगर
शर्त है तर्ज़े-बयां दमदार होना चाहिए

ये भी हो और वो भी हो गोया हरिक शै इसमें हो
अब तो घर को घर नहीं बाज़ार होना चाहिए

ग़म ग़लत हो जायें हर इन्सां के लेकिन उसके साथ
हमसफ़र 'दरवेश'-सा ग़मख़्वार होना चाहिए