रंगों की बुनावट में चमक है अब भी
चमक में छिपा है कोई संदेश कल का कल के लिए
गिरती दीवारों पर अंकित है एक अबूझ लिपि
कौन पढ़ेगा ढहती इमारत की भाषा ?
रंगों की बुनावट में चमक है अब भी
चमक में छिपा है कोई संदेश कल का कल के लिए
गिरती दीवारों पर अंकित है एक अबूझ लिपि
कौन पढ़ेगा ढहती इमारत की भाषा ?