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क्या अनमोल जवानी है / हरि फ़ैज़ाबादी

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क्या अनमोल जवानी है
जब दिल में वीरानी है

कल तक थी जो उनकी अब
मेरी राम कहानी है

शायद तुमने ठीक कहा
दुनिया बड़ी सयानी है

ख़ामोशी अब ठीक नहीं
सर के ऊपर पानी है

ख़ुश्बू ली गुल फेंक दिया
ये तो बेईमानी है

नेकी कर दरिया में डाल
इसमें बड़ा मआनी है

उस अनाथ से कौन कहे
बेटा ये नादानी है

बच्चे अपना घर लूटें
ये कैसी मनमानी है

चेहरा उतरेगा ही जब
दिल में बेईमानी है