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क्या इसको कहते भारत हैं / हरि नारायण सिंह 'हरि'

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नदियाँ, पर्वत, नीली घाटी, क्या इसको भारत कहते हैं!
धूसर, काली, पीली माटी, क्या इसको भारत कहते हैं!

भारत कहते किसको, इसको अब कौन बतानेवाला है?
है बना तिकोना नक्शे पर, अतुलित धन-वैभववाला है!
मंदिर-मंदिर, मस्जिद-मस्जिद, गुरुद्वारे आराधन होते,
अथवा, सत्ता-सुख पाने को ये धर्म-जाति साधन होते?

बस, बहस हमेशा चौपाटी, क्या इसको भारत कहते हैं!
नदियाँ, पर्वत, नीली घाटी, क्या इसको भारत कहते हैं!

शक-हूण सभी आये, आकर भारत माता के पूत बने,
घुलमिल कर इसकी रक्षा को तत्पर कंधे मजबूत बने।
पर-चूक कहाँ से हुई कि अपने बेगाने अब लगते हैं,
भाई ही भाई के दुश्मन, सब काट सभी की करते हैं।

आपस में रंजिश-परिपाटी, क्या इसको भारत कहते हैं!
नदियाँ, पर्वत, नीली घाटी, क्या इसको भारत कहते हैं!

हो धर्म अलग, पर हमसब तो एक ही बाप के बेटे हैं,
आकाश हमारा रक्षक है, माता की गोदी लेटे हैं।
जंगल, झरने, नदियाँ, सागर, क्या अद्भुत रूप, अनोखा है!
हर ओर छटा, सुषमा व्यापी, हर रंग सुनहरा, चोखा है!

पर, सोच हुई क्योंकर नाटी, क्या इसको भारत कहते हैं!
नदियाँ, पर्वत, नीली घाटी, क्या इसको भारत कहते हैं!