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क्या बताएँ / कुमार रवींद्र

क्या बताएँ
हर तरफ
आकाश होने की खबर है
 
काश, माटी की
खबर भी लोग लेते
नाव अपनी यों हवा में
वे न खेते
 
जरा सोचो
जड़ों से कट जायेंगे हम
यही डर है
 
खबर उनकी नहीं
जो भूखे रहे कल
दिखा उनको नहीं
माँ का फटा आँचल
 
क्या करेंगे
लोग आगे
सुनो, चिंतित ईश्वर है
 
हवा में उड़ना
उन्हें आसान लगता
हर किसी को
हर कोई है रोज़ ठगता
 
दिखा तुमको भी
नहीं क्या
उड़ रहा जो कटा पर है