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क्या है हमारे पास / वार्सन शियर / राजेश चन्द्र

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हमारे पुरुष हमारे नहीं हैं।
यहाँ तक कि मेरे अपने पिता भी,
जो एक दोपहर छोड़ कर चले गए,
मेरे नहीं हैं।
मेरा भाई जेल में है,
वह भी मेरा नहीं है।
मेरे चाचा, जो घर वापस लौटे
और जिनके सिर
छलनी कर दिए गए गोलियों से,
वे भी मेरे नहीं रहे।
मेरे चचेरे-ममेरे भाई-बहन
जिन्हें जिबह किया गया गलियों में,
अधिक या बहुत कम होने के कारण,
वे भी मेरे नहीं रहे।

फिर वे पुरुष भी जिन्हें चाहते हैं हम प्यार करना,
कहते हैं कि हम बहुत सारा सर्वनाश लाती हैं,
हम पहनती हैं बहुत स्याह लिबास,
बहुत बोझिल लगती हैं जब होती हैं आसपास,
हद से ज़्यादा मनहूस हैं हम प्यार करने के लिए।
फिर वे छोड़ जाते हैं हमें
और हम भी शोक में डूबी रहती हैं उनके लिए।
हम क्या इसी के लिए रह गई हैं?
रसोई की मेज़ पर बैठ कर
उंगलियों पर हिसाब लगाने के लिए
उनका जो मर गए,
छोड़ कर चले गए जो और उनका भी
जिन्हें उठा कर ले गई पुलिस,
नशे की लत ले गई या बीमारी
या कि कोई दूसरी औरत।

इन चीज़ों का कोई अर्थ नहीं है।
देखो अपनी त्वचा को, उसके मुखड़े को,
इन होठों को, उन आँखों को,
हे ईश्वर, सुनो तो उस हँसी को।
आख़िरी अन्धियारा जिसे हम
दाख़िल होने की मंज़ूरी दे सकते हैं
अपनी ज़िन्दगियों में वह रात है,
और वह भी तब
जबकि पहलू में हमारे चाँद होगा।

अँग्रेज़ी से अनुवाद : राजेश चन्द्र