भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
क्यूँ ज़िन्दगी की राह में / जावेद अख़्तर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:34, 6 मई 2007 का अवतरण (New page: रचनाकार: जावेद अख़्तर Category:कविताएँ Category:जावेद अख़्तर ~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~ ...)
रचनाकार: जावेद अख़्तर
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~
क्यूँ ज़िन्दगी की राह में मजबूर हो गए
इतने हुए करीब कि हम दूर हो गए
ऐसा नहीं कि हमको कोई भी खुशी नहीं
लेकिन ये ज़िन्दगी तो कोई ज़िन्दगी नहीं
क्यों इसके फ़ैसले हमें मंज़ूर हो गए
पाया तुम्हें तो हमको लगा तुमको खो दिया
हम दिल पे रोए और ये दिल हम पे रो दिया
पलकों से ख़्वाब क्यों गिरे क्यों चूर हो गए