भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

क्यूँ मेरे दर्द-ए-दिल का तू ने मज़ाक उड़ाया / बेगम रज़िया हलीम जंग

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता २ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:09, 16 अगस्त 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बेगम रज़िया हलीम जंग }} {{KKCatGhazal}} <poem> क्...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

क्यूँ मेरे दर्द-ए-दिल का तू ने मज़ाक उड़ाया
तू भी समझ न पाया ये दर्द कैसे आया

ऐ दिल दुखाने वाले तुझ को ख़ुदा सँभाले
दिल ने दुआ दी तुझ को जब तू ने दिल दुखाया

करना है जो भी उस को अब तो वही करेगा
क्या मेरा दख़ल इस में सब उसी पाया