एक
चकवाङा
दूसरा
झज्जर
ऐसे एक नहीं
अनेक चकवाङा हैं
और झज्जर भी
हर कहीं
चहुँ ओर
यही घटित होता है
समय की गर्त्त में
सब कुछ भुलाने को
छिपते हुए
क्यों?
हम क्यों सबक लें?
आओ
यह प्रण लें
और अधिक कट्टर! बनें
निपटने,
तैयार रहें!
एक
चकवाङा
दूसरा
झज्जर
ऐसे एक नहीं
अनेक चकवाङा हैं
और झज्जर भी
हर कहीं
चहुँ ओर
यही घटित होता है
समय की गर्त्त में
सब कुछ भुलाने को
छिपते हुए
क्यों?
हम क्यों सबक लें?
आओ
यह प्रण लें
और अधिक कट्टर! बनें
निपटने,
तैयार रहें!