Last modified on 19 अप्रैल 2013, at 22:07

क्यो रोये मोरी माई हो ममता / निमाड़ी

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

    क्यो रोये मोरी माई हो ममता
    क्यो रोये मोरी माई

(१) तो पाँच हाथ को कफन बुलायो,
    उपर दियो झपाई
    चार वेद चैरासी हो फेरा
    उपर लीयो उठाई...
    हो ममता...

(२) तो लाख करोड़ी माया हो जोड़ी,
    कर-कर कपट कमाई
    नही तुन खाई, नही तुन खरची
    रई गई धरी की धरी...
    हो ममता...

(३) तो भाई बन्धू थारो कुटूम कबीलो,
    सबई रोवे रे घर बार
    घर की हो तीरीया तीन दिन रोवे
    दूसरो कर घर बार...
    हो ममता...

(४) तो हाड़ जल जसी बंध की हो लकड़ी,
    कैश जल जसो घाँस
    सोना सरीकी थारी काया हो जल
    कोई नी उब थारा पास...
    हो ममता......