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संध्या-वंदन को गये त्वरित मुनि छोड़ शयन
पनघट पर अटपट पहुँच अहल्या चकित -नयन
घट पर से बहते जल में असफल मीन-चयन
बन गयी सहज जय-ध्वजा मयन की ज्योति-अयन
पल में विद्युत्-सा कौंध गया निशि का प्रसंग
वह छद्म प्रात का ढंग, अचानक स्वप्न-भंग
नख-शिखु शिख तनु में व्यापी जैसे ज्वाला-तरंग
रक्ताभ नयन, आनन पर क्षण-क्षण चढ़ा रंग
अपमान, घृणा, पीड़ा का
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