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|संग्रह=सवा लाख की बाँसुरी / दीनानाथ सुमित्र<br />
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<poem><br />
221<br />
जो कुछ मेरे पास है, सब पर मधुर निशान। <br />
याद मात की बन गई, भक्त और भगवान।। <br />
<br />
222<br />
बरछी, तीर, कटार से, लिया न कोई काम। <br />
सफ़र-ज़िंदगी, प्रेम से, गुजरी उम्र तमाम।। <br />
<br />
223<br />
मोटा तगड़ा हो गया, मंदिर का दरबान। <br />
जैसा था वैसा रहा, अंदर का भगवान।। <br />
<br />
224<br />
काशी मुझसे दूर है, मैं काशी से दूर। <br />
समय-समय की बात है, समय बड़ा है क्रूर।। <br />
<br />
225<br />
जो ज्ञानी का देश है, करे ज्ञान की बात। <br />
बक-बक करने से नहीं, बढ़ सकती औक़ात।। <br />
<br />
226<br />
अल्फ़ाजों से दोस्ती, शेरों से है प्यार। <br />
इस कारण लिखता गया, मैं भी ग़ज़ल हजार।। <br />
<br />
227<br />
आस न पूरी हो सकी, मन यह रहा उदास। <br />
रुपया या सोना नहीं, मेरा धन विश्वास।। <br />
<br />
228<br />
और प्यार से है बड़ा, भ्रात-बहन का प्यार। <br />
इस कारण सबसे बड़ा, राखी का त्योहार।। <br />
<br />
229<br />
चलो प्यार के रास्ते, करो प्यार-व्यापार। <br />
जीतो जीवन-जगत को, प्यार बड़ा हथियार।। <br />
<br />
230<br />
हर प्राणी को चाहिए, रोटी और मकान।। <br />
माँग रहा है आज भी, सारा हिन्दुस्तान।। <br />
<br />
231<br />
मिला गरीबों को नहीं, रोटी और मकान। <br />
कैसे फिर मैं बोल दूँ, जय-जय हिन्दुस्तान।। <br />
<br />
232<br />
सत्य-अहिंसा माँगता, बापू का यह देश। <br />
रहन-सहन में सादगी, प्रेमिल भाव अशेष।। <br />
<br />
233<br />
करो बदी से दुश्मनी, औ नेकी से प्यार। <br />
निश्चित होगा एक दिन, तेरा बेड़ा पार।। <br />
<br />
234<br />
राजनीति में जीत का, एक मंत्र यह यार। <br />
एक काम पूरा करो, वादे करो हजार।। <br />
<br />
235<br />
पूरे होंगे कब भला, जनता के अरमान। <br />
भैंसों जैसे हो गये, नेताजी के कान।। <br />
<br />
236<br />
नारे-जुमले चल रहे, बढ़ने लगा तनाव। <br />
जबसे सिर पर आ गया, श्दीनानाथश् चुनाव।। <br />
<br />
237<br />
जबतक होगा देश में, पैसों पर मतदान। <br />
तबतक हो सकता नहीं, जनता का कल्याण।। <br />
<br />
238<br />
जनता मूर्ख-चपाट है, नेता जी चालाक। <br />
जब विकास को पूछिये, रटें चीन औ पाक।। <br />
<br />
239<br />
होगा सीमा पर तभी, प्रेम और उल्लास। <br />
राजनीति को छोड़कर, होगा सही प्रयास।। <br />
<br />
240<br />
सच्चा वादा स्वयं से, करें आप श्रीमान। <br />
मानेंगे हर पंथ से, ऊपर हिन्दुस्तान।। <br />
</poem></div>Rahul Shivay