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खबरदार / रजनी अनुरागी

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खबरदार
तुम पर नज़र रखी जा रही है
लगातार
एक चूक हुई नहीं
कि आकर नोचने को तैयार
सौ-सौ गिद्ध बैठे हैं पुरूषत्व के
तुम कहीं भी और कभी भी
धर ली जाओगी

तुम्हारे पास अपना कुछ नही है
फिर भी सब कुछ छोड़ने को रहो तैयार

तुम्हारे ऊपर कभी भी लग सकते हैं लांछन
कि तुम हो वाचाल, बेग़ैरत, कुल्टा और बदचलन

तुम्हारे प्यार और तुम्हारी ममता के मानीं
कभी भी हो सकते है बेमानी

जिस दिन भी और जिस भी पल
जीना चाहोगी जीवन अपनी ही तरह
उसी दिन और उसी पल
तुम से छीन लिया जायेगा
तुम्हारा प्यार और सम्मान

और इसीलिए नजर रखी जा रही है तुम पर
कि तुम करो कोई चूक
और छीन लिया जाये तुमसे तुम्हारा सब कुछ