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खरीदो नेह-छोह / परिचय दास

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आज के जमाने का सूत्र है :
जो बिक रहा है, उसे बेचो
यहाँ तक कि जो बिक सके
वह साहित्य बेचो, कला बेचो, खेल बेचो

जो न बिके
और न बिकना चाहे
उसे कर दो किनारे
तिरस्कृत करो

बिकना ही प्रासंगिकता है

इसके अलावा
अवांछित है, उपेक्षित है

खरीदो संवेदना
खरॊदो नेह-छोह
खरॊदो रिस्ते-नाते

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