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ख़त आ चुका, मुझसे है वही ढंग अब तलक / सौदा

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ख़त आ चुका, मुझसे है वही ढंग अब तलक
वैसा ही मिरे नाम से है नंग<ref>शर्म</ref> अब तलक

देखे है मुझको अपनी गली में तो फिर मुझे
वैसी ही गालियाँ हैं, वही संग<ref>पत्थर</ref> अब तलक

आलम से की है सुलह मगर एक मेरे साथ
झगड़े वही अबस<ref>व्यर्थ </ref> के , वही जंग अब तलक

सुनता है जिस जगह वो मिरा ज़िक्र एक बार
भागे है वाँ<ref>वहाँ </ref> से लाख ही फ़रसंग<ref>दूरी की एक इकाई </ref>अब तलक

'सौदा' निकल चुका है वो हंगामे-नाज़<ref>नखरे के दौर से</ref> से
पर मुझसे है अदा का वही रंग अब तलक

शब्दार्थ
<references/>