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ख़बर / सुभाष शर्मा

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खबर थी—पंजाब में दो दर्जन लोग/बन गए गोश्त
पर लोग सब्र किए
कि दो यात्री किसी तरह फुर्र हो गए !
खबर थी-रेल-दुर्घटना में
तीन सौ यात्री मारे गए
लोग चुप रहे
कि घायलों को अस्पताल भेज दिया गया
खबर थी –
सात महिलाओं का बलात्कार हुआ
लोग धैर्य धरे कि
पुलिस बलात्कारियों की तलाश
सरगर्मी से कर रही है
खबर थी –
दंगे में डेढ़ सौ झोपड़पट्टियाँ
जला दी गईं
लोग हर बार की तरह धीरज धरे
घोषणा सुनकर
कि पीड़ितों को मुआवजा दिया जाएगा
मृतकों के आश्रितों को नौकरी
और दिए जाएंगे/पहनने को कपड़े
रहने को घर ।
खबर थी –
मरने के बाद ही पूरे होते हैं अरमान
एक साथ मिलता है – रोटी, कपड़ा और मकान
खबर थी –
कटे पेड़ के तने
गौरैया के उजड़े घोंसले
गायों के सूखे थन
और जो बात लोगों के जेहन में
बरसों से रही है
अभी खबर नहीं बनी है !