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ख़ाके-हिन्द (भारत की रज) / बृज नारायण चकबस्त

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ख़ाके-हिन्द<ref>भारत की रज</ref>

अगली-सी<ref>उच्च कोटि की</ref>ताज़गी<ref>नवीनता</ref> है फूलों में और फलों में
करते हैं रक़्स<ref>नृत्य</ref> अब तक ताऊस <ref>मोर</ref> जंगलों में
अब तक वही कड़क है बिजली की बादलों में
पस्ती-सी<ref>निरुत्साहितता,शिथिलता</ref> आ गई है पर<ref>लेकिन</ref> दिल के हौसलों में

गुल शमअ-ए-अंजुमन <ref>सभा का दीपक बुझा हुआ </ref> है,गो <ref>यद्यपि</ref> अंजुमन <ref>सभा</ref> वही है
हुब्बे-वतन<ref>स्वदेश-प्रेम</ref> नहीं है, ख़ाके-वतन<ref>स्वदेश की मिट्टी,रज</ref> वही है

बरसों से हो रहा है बरहम <ref>अस्त-व्यस्त</ref> समाँ <ref>हाल</ref> हमारा
दुनिया से मिट रहा है नामो-निशाँ <ref>नाम व चिह्न</ref> हमारा
कुछ कम नहीं अज़ल<ref>मृत्यु</ref> से ख़्वाबे-गराँ <ref>गहरी नींद</ref> हमारा
इक लाशे -बे-क़फ़न<ref>बिना क़फ़न का शव</ref> है हिन्दोस्ताँ हमारा

इल्मो-कमाल-ओ-ईमाँ <ref>विद्या,कार्य कुशलता,ईमानदारी</ref> बरबाद हो रहे हैं
ऐशो-तरब <ref>भोग=विलास</ref> के बन्दे <ref>लोग</ref> ग़फ़लत<ref>अनभिज्ञता</ref> , में सो रहे हैं

ऐ सूरे-हुब्बे-क़ौमी<ref>जातीय प्रेम का नगाड़ा,नरसिंहा बाजा</ref> ! इस ख़्वाब<ref>स्वप्न</ref> को जगा दे
भूला हुआ फ़साना<ref>कहानी</ref> कानों को फिर सुना दे
मुर्दा तबीयतों <ref>मृत प्राय:, कुम्हलाए हुए दिलों </ref> की अफ़सुर्दगी<ref>कुम्हलाहट</ref> मिटा दे
उठते हुए शरारे <ref>चिंगारियाँ</ref> इस राख से दिखा दे

हुब्बे-वतन<ref>स्वदेश-प्रेम</ref> समाए आँखों में नूर <ref>प्रकाश</ref> होकर
सर में ख़ुमार<ref>उतरता हुआ नशा</ref> हो कर, दिल में सुरूर<ref>चढ़ता हुआ</ref> हो कर
                                                     
है जू-ए-शीर<ref>दूध की नदी</ref> हमको नूरे-सहर <ref>प्रभात का प्रकाश</ref> वतन <ref>स्वदेश</ref> का
आँखों को रौशनी है जल्वा<ref> आलोक</ref> इस अंजुमन<ref>सभा</ref> का

है रश्क़े- महर<ref>सूर्य को लज्जित करने वाला</ref> ज़र्र: <ref>धूल-कण</ref> इस मंज़िले -कुहन <ref>प्राचीन पथ </ref> का
तुलता<ref>तुलनीय</ref> है बर्गे-गुल <ref>फूल की पत्ती से</ref> से काँटा भी इस चमन का
ग़र्दो-ग़ुबार<ref>मिट्टी,रेत</ref> याँ<ref>यहाँ</ref> का ख़िलअत<ref>पोशाक</ref> है अपने तन को
मरकर भी चाहते हैं ख़ाके-वतन<ref>स्वदेश-रज</ref> क़फ़न को
                                                     **

शब्दार्थ
<references/>