भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

ख़ामोशी / उत्‍तमराव क्षीरसागर

Kavita Kosh से
Uttamrao Kshirsagar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:10, 5 मार्च 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=उत्‍तमराव क्षीरसागर |अनुवादक= |सं...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

खा़मोश हैं
लब
सब ख़ामोश हैं


सब ख़ामोश है


राजा-प्रजा
महल-माढी
घोडा गाडी
सब


सब के सब ख़ामोश हैं ।


काल कहता है कथा
हूँकारी देती है ख़ामोशी
केवल हाँ केवल ख़ामोशी
सुनती है काल-कथा


शेष
ख़ामोश हैं सब
सबके लब ख़ामोश हैं
                - 2000 ई0