ख़ामोश रास्तों पे नई दास्ताँ लिखूँ,
तन्हा चलूँ सफ़र में मगर कारवाँ लिखूँ ।
ऊँचाईयों की नब्ज़ पे रख के मैं उंगलियाँ
तेरी हथेलियों पे कई आस्माँ लिखूँ ।
ख़ामोश रास्तों पे नई दास्ताँ लिखूँ,
तन्हा चलूँ सफ़र में मगर कारवाँ लिखूँ ।
ऊँचाईयों की नब्ज़ पे रख के मैं उंगलियाँ
तेरी हथेलियों पे कई आस्माँ लिखूँ ।