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"ख़ुदा नहीं, न सही, ना-ख़ुदा नहीं, न सही / अहमद नदीम क़ासमी" के अवतरणों में अंतर
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तेरे मुक़ाम का कोई पता नहीं, न सही | तेरे मुक़ाम का कोई पता नहीं, न सही | ||
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तुझे सुनाई तो दी, ये गुरूर क्या कम है | तुझे सुनाई तो दी, ये गुरूर क्या कम है | ||
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अगर क़बूल मेरी इल्तिजा नहीं, न सही | अगर क़बूल मेरी इल्तिजा नहीं, न सही | ||
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तेरी निगाह में हूँ, तेरी बारगाह में हूँ | तेरी निगाह में हूँ, तेरी बारगाह में हूँ | ||
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अगर मुझे कोई पहचानता नहीं, न सही | अगर मुझे कोई पहचानता नहीं, न सही | ||
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नहीं हैं सर्द अभी हौसले उड़ानों के | नहीं हैं सर्द अभी हौसले उड़ानों के | ||
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वो मेरी जात से भी मावरा नहीं, न सही | वो मेरी जात से भी मावरा नहीं, न सही | ||
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ना-ख़ुदा= नाविक अथवा कर्णधार; तलब का तक़ाज़ा=चाह की ज़रूरत; इल्तिजा=प्रार्थना; बारगाह=कचहरी; मावरा=परे | ना-ख़ुदा= नाविक अथवा कर्णधार; तलब का तक़ाज़ा=चाह की ज़रूरत; इल्तिजा=प्रार्थना; बारगाह=कचहरी; मावरा=परे | ||
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19:33, 8 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
ख़ुदा नहीं, न सही, ना-ख़ुदा नहीं, न सही
तेरे बगै़र कोई आसरा नहीं, न सही
तेरी तलब का तक़ाज़ा है ज़िन्दगी मेरी
तेरे मुक़ाम का कोई पता नहीं, न सही
तुझे सुनाई तो दी, ये गुरूर क्या कम है
अगर क़बूल मेरी इल्तिजा नहीं, न सही
तेरी निगाह में हूँ, तेरी बारगाह में हूँ
अगर मुझे कोई पहचानता नहीं, न सही
नहीं हैं सर्द अभी हौसले उड़ानों के
वो मेरी जात से भी मावरा नहीं, न सही
ना-ख़ुदा= नाविक अथवा कर्णधार; तलब का तक़ाज़ा=चाह की ज़रूरत; इल्तिजा=प्रार्थना; बारगाह=कचहरी; मावरा=परे