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ख़ुदा मुझको बेवफ़ा करे/ विनय प्रजापति 'नज़र'

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ख़ुदा मुझको बेवफ़ा करे
उसपे ऐसे इक जफ़ा करे

बुझाये इश्क़, चराग़ सभी
उसे ख़ुद से यूँ ख़फ़ा करे

आये यूँ अश्को-आँच कभी
वो आँखों को नम रखा करे

ख़ुमारे-ग़म की हो बादा
वो रोज़ जिसको पिया करे

हो हसीं ख़ाब से ख़ौफ़ज़दा
चाहे भी तो न शिफ़ा करे

मिट न सके इक वो निशाँ भी
वो हर रोज़ ज़ख़्म हरा करे