भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
ख़ुश-जमालों की याद आती है / सिकंदर अली 'वज्द'
Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता २ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:15, 20 जुलाई 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सिकंदर अली 'वज्द' }} {{KKCatGhazal}} <poem> ख़ुश-ज...' के साथ नया पन्ना बनाया)
ख़ुश-जमालों की याद आती है
बे-मिसालों की याद आती है
बाइस-ए-रश्क मेहर ओ माह थे जो
उन हिलालों की याद आती है
जिन की आँखों में था सुरूर-ए-ग़ज़ल
उन ग़ज़ालों की याद आती है
सादगी ला-जवाब है जिन की
उन सवालों की याद आती है