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ख़ून का रिश्ता / विचिस्लाव कुप्रियानफ़

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मैं कुछ देखना नहीं चाहता

मैं कुछ सुनना भी नहीं चाहता

और कुछ कहूंगा भी नहीं


होंठ काटता हूँ अपने

महसूस करता हूँ

ख़ून का स्वाद


आँखें बन्द करता हूँ

देखता हूँ रंग

ख़ून का

कान बन्द करता हूँ

सुनता हूँ ख़ून की आवाज़


नहीं, सम्भव नहीं है

ख़ुद में ही सिमट जाना

और तोड़ लेना इस दुनिया से

ख़ून का नाता


सिर्फ़ एक ही रास्ता है

हमेशा हम

बोलते और सुनते रहें

सुनते और बोलते रहें

शब्द बसे हैं हर किसी के ख़ून में