भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

ख़ून के घूँट बलानौश पिये जाते हैं / यगाना चंगेज़ी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

ख़ून के घूँट बलानौश पिए जाते हैं।

खैर साक़ी की मनाते हैं जिए जाते हैं।


एक तो दर्द मिला उसपै यह शाहाना मिज़ाज।

हम ग़रीबों को भी क्या तोहफ़े दिए जाते हैं॥


दिल है पहलू में कि उम्मीद की चिंगारी है।

अब तक इतनी है हरारत कि जिए जाते हैं।