भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

ख़ैर से दिल को तिरी याद से कुछ काम तो है / हसन 'नईम'

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता २ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:26, 27 जुलाई 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हकीम 'नासिर' }} {{KKCatGhazal}} <poem> ख़ैर से दिल ...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

ख़ैर से दिल को तिरी याद से कुछ काम तो है
वस्ल की शब न सही हिज्र का हँगाम तो है

नूर-ए-अफ़लाक से रौशन हो शब-ए-ग़म कि न हो
चाँद तारों से मिरा नामा ओ पैग़ाम तो है

कम नहीं ऐ दिल-ए-बे-ताब मता-ए-उम्मीद
दस्त-ए-मै-ख़्वार में ख़ाली ही सही जाम तो है

बाम-ए-ख़ुर्शीद से उतरे कि न उतरे कोई सुब्ह
ख़ेमा-ए-शब में बहुत देर से कोहराम तो है

जो भी इल्ज़ाम मिरे इश्‍क पे आया हो ‘नईम’
उन से वाबस्ता किसी तौर मिरा नाम तो है