भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

ख़ौफ़ / आकांक्षा पारे

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:06, 8 नवम्बर 2009 का अवतरण ("ख़ौफ़ / आकांक्षा पारे" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite)))

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मैं
नहीं डरती मौत से
न डराता है मुझे उसका ख़ौफ़

मैं
नहीं डरती उसके आने के अहसास से
न डराते हैं मुझे उसके स्वप्न

मैं डरती हूं उस सन्नाटे से
जो पसरता है
घर से ज़्यादा दिलों पर

डरती हूँ उन आँसुओं से
जो दामन से ज़्यादा भिगोते हैं मन

डरती हूँ माँ के चेहरे से
जो रोएगा हर पल
मुस्कराते हुए भी।