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"ख़्वाहिशें बे पनाह करने में / राज़िक़ अंसारी" के अवतरणों में अंतर

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07:37, 14 जून 2019 के समय का अवतरण

ख़्वाहिशें बे पनाह करने में
हम हैं ख़ुद को तबाह करने में

हमने कितने उसूल तोड़ दिए
एक तुझ से निबाह करने में

हम अदालत में केस हार गये
दोस्तों को गवाह करने में

कितनी लाशें बिछाई हैं तुमने
ख़ुद को आलम पनाह करने में

सारी बस्ती उजाड़ दी तुमने
मेरे घर को तबाह करने में