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खाघि / मन्त्रेश्वर झा

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आहि रौ बात, बड़ संताप
सब अवढ़ंग सब षड्रंग
सभक उमंग, खसल चितंग !
आहि रौ बाप !
आहि रौ बाप, बड़ अभिशाप
दैवी योग, लिखला भोग
धर्मक ग्लानि, कर्मक हानि,
आहि रौ बाप।
आहि रौ बाप, बड़-बड़ पाठ,
बड़-बड़ जाप, जरती-मरती वर्षा-बाढ़ि
लगले लागल व्याधि-बिहाड़ि
आहि रौ बाप !
आहि रौ बाप, ठोपे-ठाप,
टोपे-टाप, सभ बुधियार
नाटककार, सबहक यार-कक्कर यार !
बाप रौ बाप !
आहि रौ बाप, बेटा-बाप,
बापक बेटा कक्कर छाप ?
पापक पाप, कक्कर पाप ?
आहि रौ बाप ?
बाप रौ बाप, आहि रौ बाप,
बाप रौ बाप, आहि रौ बाप !!