Last modified on 4 दिसम्बर 2019, at 22:58

खामोशी भी पिघले / कविता भट्ट

बढ़ गई है
रिश्तों में ठिठुरन
नेह तो मिले।
धूप अब लें जरा
फुरसत हो,
जिंदगी है केतली
तेरा प्यार है-
अदरख की चाय
मीठी चुस्कियाँ
बर्फीले पहाड़-सी
खामोशी भी पिघले
-0-