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खाली डायरी / अशोक कुमार

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यह सच है कि जिस खाली डायरी में
मैं कोई कविता लिखने की सोच रहा हूँ
वह कई साल पुरानी है
और वह खाली है
पूरी की पूरी
पहली जनवरी से ही

कई साल पहले जब वह मिली होगी
साल की शुरुआत में
मैं महसूस करता हूँ आयी होगी चमक आँखों में
नये साल के साथ

डायरी में लिखी जायेंगी
दिन-चर्यायें, दैनिक जीवन की गतिविधियाँ, कुछ छूते पल या फ़िर
आटे-दाल और तरकारी, दूध, मिर्च-मसाले के हिसाब
जैसा लिखते देखता था बाबूजी को
बड़े ध्यान से
ओपनिंग और क्लोजिंग बैलेंस के मिलान के साथ

गरमियों में जब गाँव जाता था
स्कूल की छुट्टियों में
चाचाजी को डायरी लिखते देखता था
रूलदार कापी में
सरकंडे की कलम को स्याही में बोर कर
जो शायद उनके होम-वर्क का हिस्सा था
जो शायद गाँव के मास्साब ने उन्हें दिये थे

उनकी डायरी में होती थीं घटनायें
सुबह होने से शाम ढलने तक
रोज सुबह सूरज पूरब में उगता था
और पश्चिम में डूबता था
रोज स्कूल जाया जाता था
रोज खाना खाया जाता था
मैं डायरी लिखने का मतलब समझने लगा था
दिन-चर्या, दिन-भर के खर्च के हिसाब

जब डायरी लिखने की कला आजमाया
बोझिल थी दिनचर्या
ऊबाऊ थे लिखने हिसाब-किताब

डायरियों में दर्ज करना घटनाओं को हू-ब-हू
एक चुनौती थी आत्म-स्वीकारोक्ति की
डायरी के सामने
जहाँ हुई थोड़ी-सी चूक भी
भयावह सच हो सकता था
जहाँ उलूल-जुलूल खर्च
अंकेक्षण में चिह्नित किये जा सकते थे

सच है
डायरियाँ गवाह होती हैं
बदलते दिन की
बदलते मौसम की
जब डायरियों के बदलते पन्नों के संग
बदल जाता है आदमी
लिखे जाने से भर कर

खाली पड़ी डायरियाँ
यह बता जाती हैं कि ज़िन्दगी एक खाली बरतन है
जिसे इस्तेमाल करने के बाद खाली कर दिया जाता है
खाली डायरियाँ एक उदास आदमी की तस्वीर होती हैं
जो कभी खींची न गयी
या फिर खींची गयी हो कुछ उदास श्वेत-श्याम रंगों से

बहरहाल डायरियाँ खाली रह जाती हैं
जब मुश्किल होता है
उगते और ढलते सूरज के बीच की
घटनाओं में फ़र्क करना
जब उन सामान्य घटनाओं के बीच घट रहे
असाधारण पलों को दर्ज करने का दुस्साहस नहीं होता
और सूरज ढलने के बाद का काल ईमानदार नहीं रह पाता

डायरियाँ खाली रह जाती हैं
और उदास पड़े खाली पन्ने पीले पड़ जाते हैं
लिखे-भरे जाने के इंतजार में
खाली पड़ी डायरियों में बच्चे
जब खींच डालते हैं आड़ी-तिरछी रेखायें
वृत्तीय वर्तुलाकार आकृतियाँ
ज़िन्दगी उन आड़ी-तिरछी रेखाओं की अगल-बगल चलती है
एक वृत्त बनकर
एक शून्य हो कर
और एक खाली पड़ी डायरी का सच हो जाती है।