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खुदा भला करे इनके खरीददारों का / आनंद कुमार द्विवेदी

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रंग हल्का नही होगा कभी दीवारों का,
उसने ले रखा है ठेका, यहाँ बहारों का !

लोग थकते नही करते सलाम दरिया को,
हाल पूछेगा कौन ढह रहे किनारों का  !

ईद का चाँद आपको भी नज़र आ जाये,
काम फिर क्या बचेगा, सोंचिये मीनारों का ?

गौर से देखिये हर चीज़ यहाँ बिकती है,
खुदा भला करे, इनके खरीददारों का !

मैंने हर जख्म करीने से सजा रखा है,
दिल भी अहसानफरामोश नही यारों का !

तमाम मुल्क का दुःख दर्द दूर कर देंगे,
चल रहा इन दिनों अनशन रंगे सियारों का !

भूख कि छत तले ‘आनंद’ दब गया यारों,
दोष इसमें नही, टूटी हुई दीवारों का  !!