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साँसें हैं व्याकुल
जीवन बन छा जाओ।
 
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(27 जुलाई 20 आदिनाथ शास्त्री)
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तुम हो खुशबू मन की
प्यार किसे कहते
हरगिज़ ना जानेंगे
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बोझिल तेरे नैना
मैं जागूँ यूँ ही
बीतेगी ये रैना।
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