खुश हो ए दुनिया कि एक अच्छी खबर ले आये हैं
सब ग़मों को हम मना कर अपने घर ले आये हैं
इस कदर महफूज़ गोशा इस ज़मीन पर अब कहाँ
हम उठा कर दश्त में दीवार-ओ-दर ले आये हैं
सनसनाते आसमान में उन पे क्या गुजरी न पूछ
आने वाले खून में तर बाल-ओ-पर ले आये हैं
देखता हूँ दुश्मनों का एक लश्कर हर तरफ
किस जगह मुझको यह मेरी हम-सफर ले आये हैं
मैं कि तारीकी का दुश्मन मैं अंधेरों का हरीफ़
इस लिए मुझको इधर अहल-ए-नज़र ले आये हैं