भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

खूबसूरत बारिश / असंगघोष

Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:40, 14 अक्टूबर 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=असंगघोष |अनुवादक= |संग्रह=मैं दूँ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बारिश कभी-कभार
होती है
खूबसूरत
रोज-रोज नहीं होती
याद रहती है वो
जो होती है
कभी-कभार

जिसमें आँखें बंद किए
भीगे हों प्यार से
पानी की बूंदे उतरी हों
सर से रेला बन
आहिस्ता-आहिस्ता
चेहरे पर, और
उतर गई हों
तन को
तर-बतर करती हुईं
उन बूँदों से
हुए हो कभी आलिंगनबद्ध
छलकते हुए जाम की तरह
भुजाओं से छलका हो प्यार
वही तो है खूबसूरत बारिश

और,
ऐसा रोज-रोज
हर बारिश में नहीं होता
इसलिए तो खूबसूरत बारिश
बार-बार नहीं होती

और,
जो बारिश होती है
खूबसूरत
वो हमेशा याद रहती है।