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खेलत खेल खिलाड़न माया / संत जूड़ीराम

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खेलत खेल खिलाड़न माया।
जोगी जती तपी व्रत धारी सुरनर मुनि को पकर नचाया।
दूती रूप फिरत जग जीती कर्म बिवूचित काया।
ग्रहं मंदर धन धाम जहाला खट दर्शन पाखंड दिखाया।
जूड़ीराम छलत वा सबको समझ न परे रूप बिनु छाया।