Changes

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भरी बरसात मेंबेच डाले हैं अपने छोटेखिलौने रचे थे -छोटे घरहमनेखरीद लाये इस लिएकि इनसे खेलेंगेखेलने लगे अपनी मरजी सेलेकिन ये खिलौनेकरने लगे मनमानीबच्चों को खाने लगे बे खौफये खिलौने बेकाबू हुए हैं जब से ये खिलौनेएक बड़ा-सा आकाशएक कर हम भूल गए हैंसारे खेल बदहवासी मेंखिलौने अब हमें डराने लगे हैं.इस बस्ती के लोग
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