Last modified on 21 मई 2014, at 15:49

खेलिया आंगनमें छगन मगन / सूरदास

खेलिया आंगनमें छगन मगन किजिये कलेवा ।
छीके ते सारी दधी उपर तें कढी धरी पहीर ।
लेवूं झगुली फेंटा बाँधी लेऊं मेवा ॥१॥
गवालनके संग खेलन जाऊं खेलनके मीस भूषण ल्याऊं ।
कौन परी प्यारे ललन नीसदीनकी ठेवा ॥२॥
सूरदास मदनमोहन घरही खेलो प्यारे ।
ललन भंवरा चक डोर दे हो हंस चकोर परेवा ॥३॥