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खोज थके सब खेल खसम री / प्राणनाथ

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खोज थके सब खेल खसम री,
मनहींमें मन उरझाना, होत न काँ गम री॥

मनही बाँधे मनही खोले, मन तम मन उजास।
ए खेल सकल है मनका, मन नेहेचल मनहीको नास॥

मन उपजावे मनही पाले, मनको मन करे संघार।
पाँच तत्व इंद्री गुन तीनों, मन निरगुन निराकार॥

मन ही नीला मनही पीला, स्याम सेत सब मन।
छोटा बडा मन भारी हलका, मनही जड मनही चेतन॥

मनही मैला मनही निरमल, मन खारा तीखा मन मीठा।
ए ही मन सबन को देखे, मनको किनँ न दीठा॥

सब मनमें ना कछु मन में, खाली मन मन ही में ब्रह्म।
'महामत मनको सोई देखे, जिन दृष्टें खुद खसम॥