अथाह जलराशि
बून्दों में समाई है!
क्षण भर के इस अस्तित्व में
कैसा विराट
वामन बना डूबता उतराता है.
वह सब जो विराट है
क्षण-पल-बून्द-बिन्दु का ही तो अभिलाषी है
क्योंकि अस्तित्व तो बीज में है
विराटता तो उसकी परछाईं है
अथाह जलराशि
बून्दों में समाई है!
क्षण भर के इस अस्तित्व में
कैसा विराट
वामन बना डूबता उतराता है.
वह सब जो विराट है
क्षण-पल-बून्द-बिन्दु का ही तो अभिलाषी है
क्योंकि अस्तित्व तो बीज में है
विराटता तो उसकी परछाईं है