सुबह :
दोपहर :
तीसरे पहर :
शाम :
आधी रात :
नदी को इन सारे प्रहरों में देखो
आँख भर
मन भर और
इसकी गहराइयों को तोलो
हर पहर की नदी अलग ही होती है
तुम एक ही नदी को
अलग-अलग प्रहरों में देख नहीं सकते
वह हमेशा दूसरी हो जाती है
सुबह :
दोपहर :
तीसरे पहर :
शाम :
आधी रात :
नदी को इन सारे प्रहरों में देखो
आँख भर
मन भर और
इसकी गहराइयों को तोलो
हर पहर की नदी अलग ही होती है
तुम एक ही नदी को
अलग-अलग प्रहरों में देख नहीं सकते
वह हमेशा दूसरी हो जाती है