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गंगा बोहिगे राम / बद्री विशाल परमानन्द

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मन मां सोचे राजा भागीरथी कइसे होगे राम
भोले नाथ के जटा ले हो, गांगा वोहीगे राम

विस्नु के चरनामृत गंगा, व्रम्हा ल गोहरायेव
महादेव ला झोंके ल केहेव, तेकर फलला पायेंव
गौरीनाथ के जटा के पूरति, गंगा होगे राम

मर-मर के मैं करेव तपसिया, तन ला अपन तपायेंव
पेट भरीस ना पुरखा तरिस, फोकट के दुख पायेंव
मोर पुरखा मन के, मोरो मन के आशा रहीगे राम

अब का करिहव घर मां जाके, का मुंहु ला देखाहूं
शिव शिव शिव शिव गंगा गंगा, जपत जफ्त मर जाहूं
उम्हगे संकर के संगुरिया तेमा, राजा बुढ़गे राम

भोलेनाथ दयालु देखीस, गत ला भागीरती के
गंगा धार जटा ले निकलिस, दूध के धार सरीके
राजा भागीरत के पीढ़ी के पीढ़ी, पुरखा तरगे राम