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गऊवा के माटी / सुभाष चंद "रसिया"

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गउवा के माटी हमके बुलावे लागल।
याद बचपन के सगरी दिलावे लागल॥

पनघट किनारे पीपल की छैया।
झिझिया खेलावे कागज के नैया।
चिटा-चींटी के सैर करावे लागल॥
गउवा के माटी हमके बुलावे लागल॥

बचपन की घड़ियाँ कुइया के पानी।
दादी सुनावे रोज हमके कहानी।
ठूठका पीपरा डगरिया बतावे लागल॥
गऊवा के माटी हमके बुलावे लागल॥

नज़र से बचे खातिर कजरा लगावे।
अचरवा ओढाकेआपन दुधवा पिलावे।
माई के याद हमके सतावे लागल॥
गऊवा के माटी हमके बुलावे लागल॥

लोगवा पटावे आज लाल-तलैया।
लागल बा आग कहे गऊवा में भैया।
भाई-भाई अंगनवा बतावे लागल॥
गऊवा के माटी हमके बुलावे लागल॥