कौन हैं अपने, कौन पराए
चेहरे सारे सुने सुनाए
रात खड़ी है दरवाज़े पर
जाने कब सुबहा आ जाए
तन्हाई बढ़ती जाती है
काश जरा बारिश आ जाए
जो मन की पर्तों को खोले
कोई ऐसी ग़ज़ल सुनाए
जिसने काटी उम्र कफ़स में
अपनी रिहाई से डर जाए
कौन हैं अपने, कौन पराए
चेहरे सारे सुने सुनाए
रात खड़ी है दरवाज़े पर
जाने कब सुबहा आ जाए
तन्हाई बढ़ती जाती है
काश जरा बारिश आ जाए
जो मन की पर्तों को खोले
कोई ऐसी ग़ज़ल सुनाए
जिसने काटी उम्र कफ़स में
अपनी रिहाई से डर जाए